Kis Kisko Pyaar Karoon 2 Movie Review : हास्य अभिनेता औऱ टीवी के सुपर स्टार कपिल शर्मा फिर रूपहले परदे पर दस्तक दे रहे हैं, वो भी अपनी 10 साल पुरानी फिल्म का सीक्वल लेकर। तेज रफ्तार में मनोरंजन की पटरी पर तेजी से दौड़ती यह मूवी निश्चित रूप से लोगों को गुदगुदाएगी। कन्फ्यजन के साथ कामेडी के तड़के वाली इस फिल्म की लंबाई दो घंटे 23 मिनट है। फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं 2’ फिल्म पहला पार्ट जहां खत्म होता है, वहीं से शुरू होती है। पहले पार्ट में तीन अलग अलग धर्मों की लड़कियों से शादी करके कपिल ने खूब मनोरंजन किया था। चौथी दुल्हन की वो तलाश कर रहा होता है, लेकिन स्टोरी को एंड कर दिया जाता है। अब सीक्वल -2 में चौथी दुल्हन तो मिल जाती है, लेकिन प्रेमिका के रूप में। अलग धर्म की होने के कारण उसे दुल्हन बनाने का संकट खड़ा है। जब भी कपित शादी का माहौल बनाता है, तभी धर्म आडे आ जाता है। फिल्म में पूरी तरह से आम आदमी की भूमिका निभाते हुए कपिल ने शानदार अभिनय किया है।
गलतफहमियों के साथ एंटरटेन से लबालब है कहानी
परदे पर मोहन (कपिल शर्मा) और सानिया (वरीना हुसैन) की खूबसूरत मोहब्बत से प्रेम का श्रीगणेश होता है. । दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं, लेकिन अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखने के कारण दोनों के माता-पिता इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करते। अपने प्यार को अंजाम तक ले जाने के लिए मोहन और सानिया अपनी ओर से कई तरकीबें आजमाते हैं, लेकिन हर कोशिश मोहन के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर देती है। इन्हीं हालातों के चलते मोहन ऐसी उलझनों में घिर जाता है कि वह तीन अलग-अलग धर्मों की लड़कियों जेनी (पारुल गुलाटी), रूही (आयशा खान), मीरा (त्रिधा चौधरी),से शादी करने पर मजबूर हो जाता है। इधर प्यार सानिया से, उधर जिम्मेदारियां तीन-तीन पत्नियों की मोहन की जिंदगी पूरी तरह उलट-पुलट हो जाती है। अब असली सवाल, क्या सच में मोहन और सानिया की शादी हो पाएगी? और जब मोहन की तीनों शादियों की सच्चाई सानिया और सबके सामने आएगी, तब क्या हंगामा मचेगा?
अभिनय की छाप छोड़ी
कपिल के साथ साथ फिल्म में त्रिधा चौधरी प्रभावी हैं। वरीना हुसैन, पारुल गुलाटी और आयशा ने ग्लैमर और अभिनय दोनों में बैलेंस बना कर रखा है। विपिन शर्मा की कॉमेडी टाइमिंग फिल्म की सबसे बड़ी ताकत बनी है। कहानी तर्क से ज्यादा कन्फ्यूजन और कॉमिक एंगिल पर चलती है, लेकिन अपनी तेज रफ्तार और मनोरंजक शैली की वजह से दर्शक को जोड़े रखती है। भोपाल की लोकेशनों का इस्तेमाल सुंदर और प्रभावी है।
गानों में ज्यादा दम नहीं
बैकग्राउंड स्कोर कॉमेडी को सपोर्ट करता है। यो यो हनी सिंह का रैप औसत है, जबकि ‘रांझे नू हीर’ एक मधुर और खूबसूरत गीत बनकर उभरता है।
– डा. उरुक्रम शर्मा