होलिका प्रहलाद की बुआ थी।

होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था।

भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के उपासक थे।

उनकी भक्ति से परेशान होकर हिरण्यकश्यप ने पर्वत के नीचे फेंक दिया था।

जब प्रहलाद वहां से भी बच गया था।

तब हिरण्यकश्यप ने होलिका से कहा कि तुम प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ जाओ।

पर आग से प्रह्लाद बच गया और होलिका मर गई थी।