अश्वत्थामा जिन्हें चिरजीवी होने का श्राप मिला था।

बलि इन्हें भविष्य में इंद्र बनने का वरदान है।

व्यास ने वेदों का संकलन और महाभारत की रचना की थी।

हनुमान जी आज भी भक्तों के बीच विद्यमान हैं।

विभीषण जिन्होंने श्रीराम का साथ दिया था।

कृपाचार्य जिन्होंने कौरवों और पांडवों को शिक्षा दी थी।

परशुराम कलियुग के अंत में भगवान कल्कि के गुरु बनेंगे।

यह सात चिरंजीवी आज भी किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर हैं।