होलिका का जन्म कासगंज ज़िले के सोरों शूकरक्षेत्र नामक जगह पर हुआ था।

हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप की बहन थीं।

पिता कश्यप ऋषि और मां दिति थीं

होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत झांसी के एरच कस्बे से हुई थी।

यह कस्बा सतयुग में एरिकच्छ के नाम से जाना जाता था।

यह दैत्याराज हिरण्यकश्यप की राजधानी थी।

हिरण्यकश्यप को वरदान था कि वह न तो दिन में मरेगा और न ही रात में