Rajasthan Politics: राजस्थान में अब कम पढ़े लिखे लोग ना तो पार्षद बन सकेंगे ना ही मेयर और सभापति। साथ ही पंच, सरपंच, प्रधान और जिला प्रमुख बनने का सपना भी पूरा नहीं होगा। सरकार अब इसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं करने जा रही है। यूडीएच मंत्री ने शहरी निकाय चुनाव और पंचायतीराज मंत्री ने पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजा हैं। प्रदेश में अप्रैल 2026 से पहले निकायों औऱ पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव प्रस्तावित हैं। मुख्यमंत्री को भेजे गए प्रस्तावों में सरपंच के लिए कम से कम 10वीं पास होने की अनिवार्यता लागू करने का प्रस्ताव दिया है। पार्षदों के लिए 10वीं और 12वीं में से एक योग्यता लागू करने का प्रस्ताव है।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि निकाय चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने का हमने प्रस्ताव भेज दिया। पंचायतीराज और निकाय चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता लागू करने के लिए पंचायतीराज एक्ट और नगरपालिका कानून में संशोधन करने होंगे। मुख्यमंत्री स्तर से मंजूरी मिलने के बाद दो अलग-अलग बिल लाए जाएंगे। विधानसभा के बजट सत्र में दोनों बिलों को पारित कर कानून में संशोधन करवाया जा सकता है।
2015 में वसुंधरा राजे सरकार ने सरपंच के लिए आठवीं, पार्षद के लिए 10वीं पास की योग्यता थी। वसुंधरा राजे सरकार के वक्त किए फैसले में वार्ड पंच अनपढ़ हो सकता था लेकिन सरपंच का आठवीं पास होना जरूरी था। आदिवासी इलाके (टीएसपी एरिया) में सरपंच के लिए पांचवीं पास होना अनिवार्य किया था। पंचायत समिति मेंबर और जिला परिषद मेंबर के लिए 10वीं पास की योग्यता लागू की गई थी। पार्षद और निकाय प्रमुखों के लिए 10वीं पास की योग्यता की थी। गहलोत सरकार ने 2019 में इसे खत्म कर दिया था।