Rajasthan Green Energy Hub : आने वाले समय में राजस्थान ग्रीन एनर्जी का सबसे बड़ा हब होगा। राजस्थान इतनी बिजली का उत्पादन करेगा, जिससे विदेशों को बिजली बेची जा सकेगी। दुबई और यूएई को बिजली देने के लिए 1600 किलोमीटर की अंडर-सी केबल बिछाने का काम शुरू हो चुका है। इस पर करीब 40 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। यपुर में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रवासी दिवस समारोह में यह कहा।
राजस्थान के सूरज से पश्चिम देशों मं होगी जगमगाहट
उन्होंने कहा- जिस समय भारत में सूर्योदय होगा, उसी समय राजस्थान की सौर ऊर्जा से बिजली पश्चिमी देशों में सप्लाई होने लगेगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा- भारत में सूरज जल्दी निकलता है, जबकि पश्चिम के देशों में देर से उगता है। यही वजह है कि भारत में सुबह मिलने वाली सौर ऊर्जा को उन देशों तक पहुंचाने की योजना तैयार की जा रही है। भौगोलिक तौर पर भले ही देश में सूर्यास्त राजस्थान में होता है, लेकिन भविष्य में ग्रीन एनर्जी का सूरज इसी धरती से निकलेगा।
राजस्थान की तपती रेत सोना उगलने को बेताब
खट्टर ने कहा- राजस्थान की जमीन, मौसम और सोलर क्षमता इतनी बड़ी है कि यहां बनने वाली ऊर्जा पूरे देश को मजबूत करने के साथ दुनिया तक भेजने की तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है। राजस्थान की तपती रेत आज राज्य की सबसे बड़ी ताकत बन रही है। सूर्य की तेज रोशनी और गर्मी को ग्रीन एनर्जी में बदलकर देश और दुनिया का बड़ा पावर सेंटर बनने की दिशा में राजस्थान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
“सूर्य से सूर्य तक” का एनर्जी चक्र तैयार कर रहा भारत
खट्टर ने कहा- भारत हवा, पानी, सूर्य और न्यूक्लियर हर सोर्स से बिजली बनाने की दिशा में काम कर रहा है और देश “सूर्य से सूर्य तक” का एनर्जी चक्र तैयार कर रहा है। दुनिया में पॉल्यूशन रोकने के लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने का टारगेट तय किया गया था। भारत ने 2005 के स्तर के मुकाबले 2030 तक 45% कार्बन कटौती और 50% रिन्युएबल एनर्जी हासिल करने का लक्ष्य सेट किया था। भारत इन दोनों टारगेट्स को 2025 में ही पूरा कर चुका है। यह बताता है कि देश ऊर्जा क्षेत्र में कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
भारत 10 साल में पावर डेफिसिट से सरप्लस हुआ
खट्टर ने कहा- वर्ष 2014 में भारत में 5% पावर डेफिसिट रहता था, जिसके कारण कई जगह पावर कट लगाने पड़ते थे। वहीं 10 साल में देश पावर सरप्लस की स्थिति में पहुंच गया है। अब भारत बिजली एक्सपोर्ट करने लगा है। उन्होंने बताया- पिछले साल देश ने 250 गीगावॉट की पीक डिमांड पूरी की थी। इस साल अनुमान था कि मांग 267 गीगावॉट तक जा सकती है, लेकिन मौसम अनुकूल होने से यह 248 गीगावॉट पर ही रुकी रही।
राजस्थान का सोलर-विंड पोटेंशियल देश में सबसे बड़ा
खट्टर ने कहा- सबसे बड़ी चुनौती ट्रांसमिशन नेटवर्क की है, क्योंकि बड़ी क्षमता होने के बाद भी बिजली को देश के अन्य हिस्सों तक भेजना मुश्किल होता है। इसी वजह से केंद्र सरकार ने नई ट्रांसमिशन लाइंस का काम तेज किया है।
प्रीपेड बिजली के मीटर पहले सरकारी विभागों में
उन्होंने कहा- प्रीपेड मीटर की सबसे पहले शुरुआत सरकारी विभागों से की जाएगी, ताकि लोगों में भरोसा बने। इससे इसके फायदे सीधे जनता तक पहुंच सकें। लक्ष्य यह है कि देश के हर नागरिक को 24 घंटे बिजली सप्लाई मिल सके।