Dr Urukram Sharma Opinion: आज बच्चों की स्थिति देखकर मन विचलित हो जाता है और जेहन में सवाल खड़ा होता है, ऐसा क्यों? आजकल के बच्चे इतने कोमल कैसे हो गए? जबकि माता पिता उनके खान पान और लाड प्यार में कोई कमी नही छोड़ते। आगे से आगे उनकी जरूरत और जिद पूरी करते हैं। करनी भी चाहिए, आखिर वो माता पिता हैं। लेकिन, जब वो चलते हुए गिर जाता है और उसके फ्रेक्चर हो जाता है, तब डॉक्टर्स के लेकर भागते हैं। इलाज पर मोटा खर्चा आता है, उसके बाद भी उसकी हड्डियों में जान नहीं आ पाती।
सवाल यही है कि, उसकी हड्डियों को मजबूत बनाने में माता पिता ने कोई भूमिका निभाई? उसे खेल के मैदान में जाने नही दिया। मिट्टी में खेलने से दूर रखा। पैदल चलना और दौड़ना क्या होता है इसकी आदत नही डाली। नाबालिग को ही स्कूटर, मोटरसाइकिल और कार की चाबी थमा दी। क्या , इन्हें सही समय पर चाबी दी गई? क्या आपने देखा की वो पांच किलोमीटर पैदल चलने और दो किलोमीटर दौड़ने लायक भी है? यदि नहीं तो क्यों दी?
सच ये है कि, हम बच्चों को मजबूत ही नही बनने देते। हम उसे बात बात पर टोकते हैं। जरा सा पैदल चलते या दौड़ते हुए गिर गया, और थोड़ा सा खून निकल गया तो सारे घरवाले अधर हो जाते हैं। अरे, उसका हौसला क्यों नही बढ़ाते? क्यों उसमे डर पैदा करते हैं? गिरकर उठेगा तभी तो जवान बनेगा। उसे कंगारू की तरह क्यों चिपका कर रखना पसंद करते हैं? क्यों नही उसे बाज की तरह तैयार करते, जो हर हालात में डटकर खड़ा रह सके।
एक बार बाज अपने बच्चों को कैसे ट्रेनिंग देता है, उसे जरूर पढ़ना। बाज की ट्रेनिंग इस तरह की होती है कि वो अपने से 10 गुना वजनी और ताकतवर को भी सेकंड्स में परास्त कर देता है। हम बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं लेकिन उसे पूरी तरह तैयार नहीं कर रहे। सोचकर देखो, यदि बरगद का पेड़ गमले में लगा होता तो क्या वो विशाल रूप धारण कर सकता था। उसे खुली हवा मिली तो वो अपना आकार बढ़ाता रहा और अपनी उम्र भी। इतना ताकतवर बनता जाता है को उसे 100 आदमी मिलकर भी हिला नही सकते, उस पर कितने ही लोग लटक जाए, उसकी डाली नहीं टूटती।
माता पिता का बच्चों से प्यार होना चाहिए, उसके बिना वो मुरझा जायेगा लेकिन आपका प्यार ऐसा ना हो की उसके पंख ही ना खुले। वो गमले का पौधा बनकर न रह जाए। बच्चों को जीने दो अपनी मर्जी से, आप उस पर निगाह रखे, गाइड करे फिर देखे आपके मार्गदर्शन से वो कितना ताकतवर, गुणी और योग्य बन जाता है। जिसे देखकर आप हर पल गौरांवित महसूस करेगा और इसी में बच्चे और आप की सफलता होगी।
– डॉ उरुक्रम शर्मा