Mohan Bhagwat Statement on Liv in Relationship: ममता बनर्जी की सत्ता वाले राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने जहां लिव इन रिलेशनशिप को खतरनाक बताया, वहीं हिन्दुओं को तीन बच्चे पैदा करने की सलाह दी। साथ ही कहा कि 19 साल से 25 साल की उम्र में हुई शादी बेहतर होती है। संघ प्रमुख ने साफ तौर पर कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। जबकि शादी, परिवार कोई शारीरिक संतुष्टि का जरिया नहीं है, यह समाज की एक इकाई है। परिवार तो वो जगह हैं, जहां व्यक्ति समाज में कैसे रहना है, उसे सीखता है। लोगों में चारित्रिक निर्माण , नैतिक मूल्य वहीं से आते हैं। परिवार इकाई संस्कृति, अर्थव्यवस्था का संगम है और कुछ मूल्यों को अपनाकर समाज को आकार देती है।परिवार की बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि शादी की उम्र या बच्चों की कितना संख्या हो, इसके लिए कोई फार्मूला नहीं है, लेकिन शोध स्पष्ट करते हैं कि तीन बच्चे किसी भी दंपत्ति के लिए श्रेष्ठ होते हैं, आदर्श होते हैं और विवाह की सबसे अच्छी उम्र 19 से 25 साल होती है।
यूं समझें भागवत की बातों को
कितने बच्चे होने चाहिए, यह परिवार में तय होता है। पति और पत्नी, और समाज। कोई फॉर्मूला नहीं दिया जा सकता। मैंने डॉक्टरों वगैरह से बात करके कुछ ज्ञान प्राप्त किया है और वे कहते हैं कि अगर शादी जल्दी, 19-25 साल की उम्र के बीच होती है, और तीन बच्चे होते हैं, तो माता-पिता और बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। भारतीय जनसंख्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं किया गया है। हमने आबादी को प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं किया है। आबादी एक बोझ है, लेकिन यह एक संपत्ति भी है। हमें अपने देश के पर्यावरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं, महिलाओं की स्थिति, उनके स्वास्थ्य और देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 50 साल के अनुमान के आधार पर एक पॉलिसी बनानी चाहिए।
RSS हिन्दुओं का पक्षधर, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं
‘लोग समझते हैं कि हिंदुओं की सुरक्षा की वकालत करता है।’ RSS प्रमुख भागवत ने कहा कि अभी लोगों के मन में RSS की धारणा सही हो गई है, लोग समझ रहे हैं कि संगठन हिंदुओं की सुरक्षा की वकालत करता है, और कट्टर राष्ट्रवादी है, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संगठन लोगों के मन से किसी भी गलत धारणा को दूर करने की कोशिश करेगा, लेकिन जो सीखना नहीं चाहता, उसकी मदद नहीं की जा सकती।