Delhi News: ओरियन ग्रीन्स (Orion Greens) लगभग 15 साल से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है। ओरियन ग्रुप की डायरेक्टर नीता उपाध्यय ने कहा, इस साल के पृथ्वी अवार्ड के लिए संस्था का चयन किया गया, इसके लिए हम #ESG रिसर्च फाउंडेशन के आभारी हैं। हमारे द्वारा किये गए कार्यों को फ़िल्म अभिनेता व व्यवसायी विवेक ओबरॉय, पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु व नीति आयोग के अध्यक्ष द्वारा सराहा गया, जो की ज्यूरी के भी सदस्य थे।
नारी तू नारायणी सम्मान, वीमन ऑफ फ्यूचर व नारी शक्ति अवाॅर्ड से सम्मानित नीता उपाध्यय का बचपन से ही प्रकृति के साथ गहरा लगाव रहा है, इसलिए उन्होंने 2007 में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए ओरियन ग्रुप की शुरुआत की। यूपी के एक छोटे से गांव कुंजलपुर में जन्मी नीता उपाध्यय के दादाजी जमींदार थे। उनके पास खूब बड़े -बड़े बगीचे थे, जहां वो आम की डेढ़ सौ वैराइटी, जामुन, शहतूत, अमरूद समेत कई तरह के फल- सब्जियों की खेती करते थे। उनके साथ मैं बचपन में बागवानी किया करती थी। बस, तभी से ही उनका एक खास रिश्ता प्रकृति के साथ जुड़ गया।
फूल-पौधों से उनकी दोस्ती हो गई। वैसे भी मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया के बीच एक गहरा संबंध है, एक ऐसा बंधन जो वैज्ञानिक रूप से हमारे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हुआ है। नीता कहती हैं, कम उम्र में शादी हो गई, लेकिन प्रकृति के साथ उनका लगाव शादी के बाद भी नहीं छूटा, इसलिए 2007 में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए इस ग्रुप की शुरुआत की, जिसमें शुरू में 8 मेंबर्स थे।
नीता ने बताया, सिर्फ आठ मेंबर्स के साथ ओरियन द इको फ्रेंडली वीमन क्लब की शुरुआत की। शुरू से ही क्लब का मुख्य उद्देश्य लोगों को ‘पानी बचाओ, बिजली बचाओ’, ‘ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ’, ‘अपने कार्बन फुटप्रिंट्स कम या छोटा करते जाओ’ के प्रति अवेयर करना रहा है। क्लब पर्यावरण संरक्षण के साथ महिला सशक्तिकरण पर भी कार्य करता है। इसके साथ ही क्लब की ओर से घर में भी बाग-बगीचे की देखभाल कैसे करे, इसके लिए भी गार्डनिंग क्लासेज भी दी जाती है। महिलाओं को आर्गेनिक फार्मिंग व बोनसाई की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
बच्चों को दी पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा
ओरियन ग्रुप ने ग्रीन्स संस्था का शुभारंभ किया, जिसमें ओरियन ग्रीन्स की टीम देशभर के स्कूलों व कच्ची बस्तियों में जाकर बच्चों को पर्यावरण शिक्षा देने के साथ उन्हें प्लांटेशन की सही तकनीक भी सिखाती हैं। हर पौधे की देखभाल के लिए बच्चों की एक टीम बनाई जाती है, जिसका एक लीडर होता है। पौधे की देखभाल सही तरीके से करने की बच्चों को शपथ दिलाई जाती है। जब पौधा तीन साल का हो जाता है तो बच्चों को वृक्ष मित्र सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया जाता है और उन्हें पौधरोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा देश भर के स्कूलों में इंटर स्कूल ड्राइंग कॉम्पिटिशन, क्विज कॉम्पिटिशन और पर्यावरण रैली का आयोजन किया जाता है। शहरी बच्चे सोचते हैं, खाना माॅल से आता है
नीता बताती है कि, अधिकांश शहरी बच्चों को ये लगता है कि उनका खाना मॉल से आता है। ऐसे बच्चों को हमारे अन्नदाता किसान लोगों के बारे में बताना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए हम एक प्रोग्राम चलाते हैं। इस प्रोग्राम के तहत बच्चों को अनाज, फल सब्जियां, कैसे उगते हैं, इसकी प्रैक्टिकल जानकारी दी जाती है। इसके अलावा महिलाओं को भी घर पर सब्जी, फल व हर्ब्स उगाना सिखाया जाता है, जिससे वे बाजार की जहरीली सब्जियों व फलों से अपने परिवार को बचा पाए।
एक बच्चे से तीन पीढ़ियां होती है अवेयर
बच्चों को विभिन्न माध्यमों से पर्यावरण शिक्षा देती हूं। मेरा मानना है कि इससे तीन पीढ़ियां शिक्षित होती हैं। बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ-साथ युवा पीढ़ी को भी अवेयर करते हैं। अभी तक देश भर के लगभग 17 लाख बच्चे संस्था से जुड़ चुके हैं। संस्था ने मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कोंकण, गोवा, उत्तरांचल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर और पूरे राजस्थान के बच्चों काे जोड़ा है। देश के विभिन्न प्रांतों के लोग नर्सरी में विजिट करते हैं। यहां अत्यंत दुर्लभ पौधों का संग्रह है, जिसमें औषधीय पौधे, आध्यात्मिक पौधे, विदेशी पौधे, आरोमेटिक पौधे हैं जैसे – पैशन फ्रूट, दहिमन, पंडन पत्ती, काली हल्दी, लाल अदरक, काली गुंजा, वैजयंती माला, गुगल और ड्रैगन फ्रूट इत्यादि हैं।
नेचुरल फार्मिंग, आज की बहुत बड़ी जरूरत
अभी जोबनेर में अपना नेचुरल फार्मिंग का फाॅर्म डवलप कर रही है, जहां हॉर्टिकल्चर का काम होगा। इसके साथ ही, वहां दुर्लभ व लुप्त हो चुकी वनस्पतियों का संरक्षण व संवर्धन किया जाएगा। वहां ट्रेनिंग कैम्प भी आयोजित किए जाएंगे। मेरा मानना है कि नेचुरल या आर्गेनिक फार्मिंग आज की बहुत बड़ी जरूरत है, क्यूंकि हमारे देश की पूरी मिट्टी रसायनों की वजह से जहरीली व प्रदूषित हो चुकी है, ये जहर हम रोज अपने भोजन के द्वारा अपने शरीर में पहुंचा रहे हैं और ऐसा कोई घर नहीं हैं, जहां शुगर, बीपी, हार्ट पेशेंट जैसी बीमारियों से ग्रसित लोग न हों। ऐसे में घर पर फल-सब्जियां उगाकर इस समस्या का हल ढूढ़ सकते हैं।
परफॉर्मिंग आर्ट से अवेयरनेस
मेरा मानना है कि परफॉर्मिंग आर्ट भी अवेयरनेस का सशक्त माध्यम है, जो बात हम बार-बार बोलकर नहीं समझा पाते हैं, वो किसी नाटक, कविता या गीत के जरिए आसानी से समझ आ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने परफॉर्मिंग आर्ट को पर्यावरण से जोड़कर राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय दो आर्ट फेस्टिवल शुरू किए, जिनके नाम हैं पंचतत्व व संजीवनी। इनमें विभिन्न विधाओं के कलाकार स्टेज पर परफॉर्मेंस द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं। इस साल का राष्ट्रीय संजीवनी जयपुर में जवाहर कला केंद्र, अजमेर व औरंगाबाद की बाबा साहेब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी मराठवाड़ा के ड्रामा डिपार्टमेंट में आयोजित हुआ।