Chetna News: राजस्थान में एक के बाद एक बोरवेल हादसे की वजह से कई मासूम बच्चो की सांसें थम गई है और इन्ही बच्चो में से एक है कोटपुतली में रहने वाली 3 साल की बच्ची चेतना जिसका शव लगतार 10 दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बीती शाम 160 फीट की गहराई से निकला गया। उसे तुरंत एम्बुलेंस से नज़दीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया लेकिन वह डॉकटरो की टीम ने जांच के बाद चेतना को मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमार्टम के बाद शव सौंप गया परिजनों को
देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप गया, जैसे ही चेतना का शव पिता भूपेंद्र चौधरी को सौंपा गया, वो फूट-फूटकर रो पड़े,घर पहुंचने पर गमगीन माहौल में चेतना के पिता और दादा ने शव को संभाला, जिसके बाद घर में कोहराम मच गया. लेकिन चेतना की मौत से कई तरह के सवाल रेस्क्यू ऑपरेशन पर भी खड़े होते है. सवाल ये की आखिर जैसे मृत चेतना बहार निकली गई वैसे ही मासूम चेतना ज़िंदा भी तो निकली जा सकती थी।
प्रशासन पर्याप्त साधन जुटाने में रहा नाकामयाब
आखिर बाद में पाइलिंग मशीनों से बोरवेल के पास एक 170 फ़ीट का गड्डा खोदा गया, और सुरंग बना कर चेतना तक पहुंचा गया.तो इस मशीन का इस्तेमाल करने के लिए 10 दिन का वक़्त क्यों लिया गया बता दे जिस दिन चेतना बोरवेल में गिरी थी तब मीडिया का के सामने बचाव कर्मियों ने दावा किया था की वो रात तक बच्ची को बोरवेल से बहार निकल लेंगे, लेकिन इस पूरे ऑपरेशन में प्रशासन ने तकनीकी खामियों को नजरअंदाज किया और पर्याप्त साधन जुटाने में भी नाकामयाब रहे. और प्लान बी के तहत पाइलिंग मशीनों से खुदाई शुरू करने का फैसला लेने में देरी हुई।