Utkarsh Coaching Jaipur: जयपुर में 15 दिसंबर को उत्कर्ष कोचिंग में छात्रों के साथ हुए हादसे से जयपुर में बवाल खड़ा होगया था. कई छात्र नेताओ ने कोचिंग के बहार धरना प्रदर्शन भी किया था. अब छात्रों के अचानक बेहोश होने के मामले में एनजीटी ने कल यानी शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की. मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मामले की सुनवाई की. जिसमें उसने राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण और वन मंत्रालय और जयपुर जिला कलेक्टर से जवाब मांगा है. जिसके लिए इन सभी को एक सप्ताह का समय दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई एनजीटी 10 फरवरी को करेगी. बता दे यह आदेश एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने दिए है.
वहीं दूसरी तरफ घटाना के बाद NGT ने नगर निगम ग्रेटर को मामले की जांच के निर्देश दिए थे. जिसे लेकर उसने अपनी जांच रिपोर्ट 27 दिसंबर को NGT कोर्ट में सौंपी थी. जिसमें उसने छात्रों के बेहोश होने के कारणों का सही से पता नहीं चल पाया. इस रिपोर्ट के आने के बाद छात्रों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. उन्होंने नगर निगम और कोचिंग प्रबंधन पर मिलीभगत के आरोप लगाए है.
ये पूरा ममला 15 दिसंबर का है दरसअल, 15 दिसंबर को शाम करीब 6:30 बजे जयपुर के गोपालपुरा स्थित उत्कर्ष कोचिंग के क्लास में बैठे छात्रों को अचानक गैस जैसी गंध महसूस हुई. देखते ही देखते क्लास में बैठे छात्र बेहोश होने लगे. 10 से ज्यादा छात्रों के बेहोश होने के बाद मौके पर हड़कंप मच गया. कोचिंग सेंटर की दूसरी मंजिल पर क्लास चल रही थी. इस दौरान बेहोश छात्रों को कंधों पर लादकर नीचे उतारा गया और 108 एंबुलेंस बुलाकर उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां 2 छात्रों की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें सीके बिरला अस्पताल रेफर कर दिया गया. जिसके बाद से उत्कर्ष कोचिंग सेंटर पर लगातार जांच की मांग की जा रही है.
घटना के बाद ग्रेटर नगर निगम को एनजीटी की ओर से जांच के निर्देश दिए गए थे. जिसके बाद कमेटी ने कल यानी 27 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी. रिपोर्ट में घटना के कारणों का कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिला. उनकी जांच में सीवरेज और इलेक्ट्रिक सिस्टम में भी कोई खराबी नहीं पाई गई. कोचिंग सेंटर में लगे सीसीटीवी फुटेज भी सामान्य थे, और कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं दिखी. ग्रेटर नगर निगम द्वारा गठित कमेटी ने कहा कि किसी भी तरह की तकनीकी या ढांचागत समस्या का कोई संकेत नहीं मिला. जिसके बाद एनजीटी ने सुनवाई करते हुए कलेक्टर, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण और वन मंत्रालय से जवाब मांगा है.