Rajasthan news; राजस्थान के 9 जिलों में अगले एकेडमिक सेशन से लोकल लैंग्वेज में पढ़ाई करवाई जाएगी। बुधवार यानि18 दिसंबर देर शाम शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इसका ऐलान किया और बोले ‘राजस्थान में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 को लागू करने के बाद प्री-प्राइमरी क्लासेस में लोकल लैंग्वेज में पढ़ाई शुरू होगी. राजस्थान स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च और ट्रेनिंग यानि RSCERT इसके लिए जरूरी सिलेबस पहले ही तैयार कर चुकी है ।
वही दिलावर ने ये भी बताया की अभी सिरोही और डूंगरपुर जिलों में एक मल्टीलिंग्वल लैंग्वेज प्रोग्राम चलाया जा रहा है, अगले सेशन से इस कार्यक्रम का विस्तार 9 जिलों तक हो जाएगा, जिसके बाद जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, सिरोही, डुंगरपुर में लोकल लैंग्वेज में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। 2026 अकादमिक सेशन तक इसे 25 जिलों तक विस्तारित करने की योजना है।
लोकल लैंग्वेज में पढ़ाई के फायदों को बताते हुए मदन दिलावर बोले जब बच्चों को उनके तत्काल परिवेश की भाषा में पढ़ाया जाता है ,तो वे कान्सेप्ट्स को समझते हैं और ज्यादा अच्छे तरीके से सीखते हैं। राजस्थान में कई तरह की बोलियां हैं। टीचर और बच्चो की भाषाओं के बीच अंतर अक्सर सीखने में रुकावट पैदा करता है। शुरुआती सालों में लोकल लैंग्वेज को शामिल करने से बच्चों को स्कूली भाषा को बेहतर तरीके से समझने और उसमें ढलने में मदद मिलेगी। स्थानीय भाषाओं में सीखने से बच्चों को समझने में आसानी होगी।
दिलावर आगे बोले , ‘बच्चों की पढ़ाई केवल मान्यताओं पर आधारित नहीं होना चाहिए। इसीलिए हमें एक ऐसे सिलेबस की जरूरत है ,जो भावी पीढ़ियों को आकार देने और राष्ट्र-निर्माण की नींव को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हो। बच्चों को प्रेरित करने के लिए राजस्थान के महान नेताओं और क्रांतिकारियों के बारे में सीखना चाहिए।