Jaipur News: पिछले कई सालों से आरपीएससी से परीक्षाओं के पेपर लीक होने से देश भर में राजस्थान की जबरदस्त किरकिरी हुई। राजस्थान के अभिमान पर ही सवाल खड़े हो गए, साथ ही नौजवानों के भविष्य के साथ जो खिलवाड़ हुआ है, वो अक्षम्य अपराध है। प्रदेश की भजनलाल सरकार ने शासन में आते ही विभिन्न परीक्षाओं के पेपर लीक मामलों की जांच एसओजी को सौंपी। एसओजी ने जबरदस्त काम किया और माफिया को धर दबोचा। इनमें आरपीएससी के दो मेंबर भी शामिल हैं। भजनलाल सरकार ने परीक्षाओं को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए आरपीएससी को सुधारने का फैसला किया।
इसके लिए विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को जिम्मेदारी दी गई। देवनानी ने कई राज्यों के आयोग का अध्ययन किया। हरियाणा संघ लोक सेवा आयोग के नियम और प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान में आरपीएससी के गठन का सुझाव दिया और अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री भजनलाल को सौंप दी।
इस रिपोर्ट में अयोग के सदस्यों की संख्या को दुगना करना अहम है, साथ ही पूर्व सरकार के लगाए सदस्यों को गोपनीय कार्यों से दूर रखना मकसद है। अभी अयोग के 5 सदस्य ऐसे हैं जिनका कार्यकाल 2026 से 2029 तक है। राजस्थान में अयोग के सदस्यों की संख्या 7 से बढ़ाकर 14 करना प्रस्तावित है। सरकार का साफ मकसद है कि राजनीतिक लाभ हानि को देखे बिना योग्य और ईमानदार लोगों को आयोग की जिम्मेदारी सौंपी जाएं ताकि दुबारा राजस्थान की प्रतिष्ठा हासिल की जा सके।
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आरपीएससी के कारनामों को लेकर आंदोलन तक किया था लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई थी। भजनलाल सरकार ने उनसे भी कहा था कि RPSC भंग नहीं किया जा सकता है, उनके पास कोई सुझाव है तो सरकार उस पर विचार करेगी।