Jaipur News: सेवानिवृत्त समायोजित शिक्षक कर्मचारी मंच के द्वारा पुरानी पेंशन योजना के लिए नेहरू बाल उद्यान शिव मंदिर टोंक रोड जयपुर में आयोजित कार्यशाला में “न्याय की देवी” के पलड़ों में एक ओर सरकारी क्रियान्विति व्यवस्था दूसरी ओर मंच द्वारा शिक्षा, पेंशन, वित्त विभाग, मुख्य सचिव,आदि उच्चस्थ अधिकारियों के साथ राजनेताओं को ओपीएस के दिए गए तथ्यात्मक दस्तावेजों को ध्यान में रखकर “न्याय की देवी” से न्यायसंगत निर्णय के इन्तजार में, सेवानिवृत्त समायोजित शिक्षाकर्मी इन्तजार कर रहे हैं।
मंच ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करते हुए अनुदानित संस्था की “नियुक्ति तिथि से ही ओपीएस” देने के* लिएआग्रह किया है क्योंकि समायोजित शिक्षा कर्मियों को ‘एक सेवा काल में दो बार नियुक्त” मानकर ओपीएस के लिए दोहरा मापदंड अपनाएं जाने की व्यवस्था से जीवन के अंतिम पड़ाव में चिंतन व चिंता के साथ-साथ गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। एक ओर 2011 में समायोजित शिक्षा कर्मियों को अप्रैल 2022 के पश्चात आशिंक ओपीएस दी जा रही है दूसरी ओर 2011 में नियुक्त मानते हुए 10 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण न होने से ओपीएस के पात्र नहीं माना गया है।
मंच के मुख्य संचालक विजय उपाध्याय ने बताया कि अनुदानित शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों को 2011 में राजकीय सेवा में समायोजित करते समय अनुदानित संस्था की नियुक्ति तिथि को आधार मानकर ही वेतन भत्ते, चयनित वेतनमान, उपार्जित अवकाश नगदीकरण आदि समस्त परिलाभ दिए गए हैं, जबकि पुरानी पेंशन के स्थान पर नई पेंशन एनपीएस देकर कुठाराघात किया गया है जिससे कर्मचारी न केवल आक्रोशित है बल्कि आर्थिक तंगी, सामाजिक असुरक्षा, गंभीर रोगों से परेशान होकर अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
मंच के मुख्य संचालक विजय उपाध्याय एवं संचालक डी.पी.ओझा ने कार्यशाला में शिक्षा कर्मियों को “अवगत कराया की आरवीआरइएस नियम 2010 के नियम 5 (IX) अस्तित्व में ही नहीं है”। क्योंकि सरकार द्वारा ओपीएस के लिए नीतिगत निर्णय के उपरांत 10 वर्ष से अधिक सेवा अवधि वाले समायोजित शिक्षा कर्मियों को आंशिक पेंशन मिल रही है। उन्होंने बताया कि लगभग 3500 शिक्षाकर्मी ओपीएस के लिए “दर-दर भटक रहे हैं और भीख मांगने की स्थिति में है” यहां तक परेशान होकर “300 से अधिक कर्मचारी” पेंशन की राह देखते- देखते चल बसे।