Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान एक घर का नाम, एक बंगले का नाम बड़ा मुद्दा बना हुआ है। जिसका जिक्र हाल ही में एक सभा के दौरान खुद प्रधान मंत्री ने भी किया था। जिसे कहा जाता है “शीशमहल”। इस बंगले का नाम इसलिए मुद्दा बना हुआ है क्युकी इस बंगले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीएम के तौर पर साल 2015 से साल 2024 में इस्तीफा देने तक रहा करते थे। अब केजरीवाल के शीश महल में गुज़ारे इन तमाम सालों को ही मुद्दा बना कर बीजेपी चुनाव में उनकी तस्वीर ख़राब करने की कोशिश कर रही है। और हर दिन एक नया इल्जाम केजरीवाल पर लगा रही है। दिल्ली में हर तरफ इस वक़्त सिर्फ शीशमहल के नाम का ही शौर हो रहा है।
केजरीवाल के बंगले को क्यों दिया गया शीशमहल का नाम?
ऐसे में एक सवाल हम सभी के ज़ेहन में है, वो है की आखिर इस बंगले को शीशमहल क्यों कहा जाता है? इसके पीछे कहानी क्या है? इस नाम के पीछे की कहानी ज्यादा पुरानी नहीं है। इस नाम को सामने आए महज 2 ही साल हुए है। दरअसल , 2023 मई में सबसे पहले ये नाम सुनाई दिया था। इस दौरान एक न्यूज़ चैनल ने मुख़्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले को लेकर अपने एक शो में कई बड़े दावे किए थे, और इस शो का नाम रखा गया था। “ऑपरेशन शीशमहल” और तभी से विपक्ष में बैठे नेताओं को ये नाम पसंद आ गया था। और यही वो वक़्त है जबसे जब भी पूर्व मुख्यमंत्री के आवास का जिक्र किया जाता है। तो उसे मुख्यमंत्री का आवास नहीं शीशमहल के नाम से बुलाया जाता है। कांग्रेस – बीजेपी तो इसे शीशमहल बुलाती ही है, साथ ही उनकी ये भी कोशिश रहती है की जनता के ज़ुबान पर भी ये नाम चढ़ जाए।
केजरीवाल के बंगले में रहने पर सवाल क्यों उठाए जाते है?
वही दूसरा सवाल ये है कि, बंगले में तो सभी नेता रहा करते है फिर चाहे वो विधायक सांसद हो या प्रधानमंत्री,मुख़्यमंत्री। तो फिर केजरीवाल के बंगले को लेकर ही सवाल क्यों उठाए जाते है? तो इसकी पीछे की कहानी करीब 12 से 13 साल पुरानी है। जब UPA 2 आंदोलन के जरिए सुर्खिया बटौरने वाले केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाने की बात कही और साथ ये भी कहा था कि, बड़े बड़े राजनेता बंगले में रहते है। लेकिन उनके लिए तो सिर्फ 2 से 3 कमरे का माकन ही काफी है। ऐसे में कोरोना कल के दौरान केजरीवाल के शीश महल की तजदीद की गई। जिसके बाद से ये इल्जाम है कि, बंगले की तजदीद में करीब 33 करोड़ रुपये खर्च किए गए है। ये इल्जाम सीएजी रिपोर्ट के लीक हुए एक हिस्से की बुनियाद पर लगाए जाते है। बता दे ऐसे में ये कहा जाता है कि 2 कमरों के माकन को काफी बताने वाले केजरीवाल को अपने बंगले को शीशमहल में तब्दील करने की जरुरत क्यों पेश आई।
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बताते चले राजस्थान की गुलाबी नगरी में मौजूद आमेर किले के एक महल का नाम शीश महल है। जिसकी छतों और दीवारों पर बेश कीमती पत्थर और शीशे लगाए गए है। और बीजेपी का इल्जाम है की केजरीवाल ने भी अपने बंगले में बेश कीमती पत्थर और टाइल लगवाई है।