Supreme Court Decision on Aravalli Range: सुप्रीम कोर्ट ने अरावली को लेकर नई सिफारिशों को लागू करने पर फिलहाल रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने आदेश दिया है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें और उन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई आगे की टिप्पणियां फिलहाल स्थगित रहेंगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि इस मामले में अदालत के आदेशों, सरकार की भूमिका और पूरी प्रक्रिया को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। इन्हीं भ्रमों को दूर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी।
समिति की रिपोर्ट के बाद फैसला
समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे अदालत ने स्वीकार भी किया था।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत की भी यही भावना है कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और उसके आधार पर अदालत द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं। CJI ने संकेत दिया कि इन गलत धारणाओं को दूर करने के लिए स्पष्टीकरण की जरूरत पड़ सकती है, ताकि अदालत की मंशा और निष्कर्षों को लेकर कोई भ्रम न रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘स्वतंत्र मूल्यांकन जरूरी’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट या अदालत के फैसले को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र मूल्यांकन जरूरी है, ताकि कई अहम सवालों पर स्पष्ट दिशा मिल सके। CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्ताव रखा है कि एक्सपट्र्स की एक हाई पावर्ड कमेटी गठित की जाए। यह कमेटी मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करे और इन मुद्दों पर स्पष्ट सुझाव दे। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की वैकेशन बेंच में मामले की सुनवाई चल रही है। जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली मानने की नई परिभाषा का विरोध हो रहा है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। सीजेआई के वैकेशन कोर्ट में यह मामला पांचवें नंबर पर लिस्टेड था।
क्या है अरावली विवाद?
(Aravalli Vivad Kya Hai)
(Aravalli Vivad Kya Hai)
सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की समिति की सिफारिश स्वीकार की। इसमें 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली के रूप में मान्यता देने की बात कही गई। इससे पहले 1985 से चले आ रहे गोदावर्मन और एमसी मेहता मामले में अरावली को व्यापक संरक्षण मिला हुआ था।