Jaipur News: जयपुर नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर काम बंद कर दिया है। उनकी नाराज़गी सरकार द्वारा निकाली गई नई भर्ती प्रक्रिया को लेकर है, जिसमें सभी कर्मचारियों से PF और ESI प्रमाणपत्र जमा करने को कहा गया है। कर्मचारियों का कहना है कि यह शर्त उन पर अनुचित है क्योंकि अधिकांश ठेके पर काम कर रहे सफाईकर्मियों के ठेकेदार PF और ESI का भुगतान ही नहीं करते हैं। ऐसे में वे प्रमाणपत्र कहां से लाएं?
भर्ती प्रक्रिया में रुकावट
यह विवाद कोई नया नहीं है। पिछले तीन सालों से सफाईकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। इस दौरान कई बार हड़तालें हुईं, लेकिन हर बार यह मामला सरकारी प्रक्रियाओं और शर्तों में उलझकर रह गया। सफाई कर्मचारी यूनियन का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है।
सफाई कर्मचारी नेता नंद किशोर डंडोरिया ने कहा कि, हम पीढ़ियों से सफाई का काम कर रहे हैं और अब सरकार हमारी अनदेखी कर रही है। सरकार को समझना चाहिए कि जब हमारे ठेकेदार ही PF और ESI जमा नहीं करते, तो हम प्रमाणपत्र कहां से लाएं?”
वाल्मीकि समाज का आग्रह
वाल्मीकि समाज के नेता और सफाईकर्मी यह मांग कर रहे हैं कि इन भर्तियों में प्राथमिकता केवल वाल्मीकि समाज को दी जाए। उनका तर्क है कि सफाई का काम उनकी पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह उनके समाज की पहचान का हिस्सा है। डंडोरिया ने कहा, “हमारे समाज ने सदियों से यह काम किया है। हम चाहते हैं कि सफाई कार्य की जिम्मेदारी हमारे ही समाज को दी जाए। लेकिन सरकार सभी जातियों को इसमें शामिल कर रही है, जो हमारे साथ अन्याय है।”
सरकार का रुख
सरकार ने इस मुद्दे पर सफाई दी है कि नई भर्ती प्रक्रिया सभी समाजों के लिए खुली है और पारदर्शिता के लिए यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि सफाई कर्मचारियों के सभी वर्गों को समान अवसर मिलना चाहिए। सरकारी अधिकारी ने कहा, “हमारी कोशिश है कि सफाईकर्मियों की भर्तियां निष्पक्ष और पारदर्शी हों। हर वर्ग के व्यक्ति को इसमें भाग लेने का अधिकार है।”
DLB का बड़ा कदम
विवाद के बीच, संयुक्त वाल्मीकि सफाई कर्मचारी यूनियन को डीएलबी (डिपार्टमेंट ऑफ लोकल बॉडीज) ने भंग कर दिया है। यूनियन के बिना सफाई कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति और कमजोर हो गई है। फिलहाल, सरकार सफाई कर्मचारी यूनियन के चुनाव जल्द से जल्द कराने की योजना बना रही है।
आम जनता को हो रही परेशानी
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का असर जयपुर की साफ-सफाई व्यवस्था पर पड़ रहा है। सड़कों पर कचरा जमा हो गया है, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, “यह हड़ताल शहर के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गई है। गंदगी से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। सरकार और कर्मचारी दोनों को मिलकर इसका हल निकालना चाहिए।”
राइजिंग राजस्थान के बीच चुनौती
इस हड़ताल के बीच, राजस्थान सरकार बड़े अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम राइजिंग राजस्थान की तैयारियों में जुटी है। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि सरकार इस आयोजन पर ध्यान दे रही है, लेकिन उनके मुद्दों को अनदेखा कर रही है। डंडोरिया ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो हड़ताल अनिश्चितकालीन हो जाएगी। उन्होंने कहा, “हम अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। अगर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी, तो इसके परिणाम उन्हें भुगतने होंगे।” जयपुर नगर निगम की यह हड़ताल शहर के लिए गंभीर समस्या बन गई है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत और समाधान की कोई ठोस योजना नजर नहीं आ रही है। जनता, सरकार और सफाई कर्मचारी सभी इस मुद्दे के जल्द हल की उम्मीद कर रहे हैं।