तालिबान के भीतर चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच बुधवार को काबुल में मंत्रालय की इमारत पर हुए आत्मघाती हमले में शरणार्थी मामलों के मंत्री ख़लील-उर-रहमान हक़्क़ानी (khalil-ur-rahman haqqani) की मौत हो गई है। एक बार फिर अफगानिस्तान (Afghanistan) में आतंकी संगठनों के एक्टिव होने की खबरे सामने आ रही है।
साल 2021 में जब तालिबान ने अफगान सरकार को गिराकर खुद की स्थापना की थी, तब खलील हक्कानी कैमरे के सामने खुलकर आया था। वह तालिबान सरकार में शरणार्थी मामलों का मंत्री था, लेकिन उसकी असली पहचान हक्कानी नेटवर्क के डिप्टी चीफ के रूप में थी।
कौन था खलील हक्कानी?
ख़लील-उर-रहमान हक़्क़ानी का जन्म साल 1966 में अफगानिस्तान के पक्तिया प्रांत के गार्द-ए-रावा ज़िले के कांडू गांव में हुआ था। वह अफगान के शक्तिशाली गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक़्क़ानी के चाचा थे और तालिबान की हक़्क़ानी शाखा की प्रमुख हस्तियों में से एक थे। बता दें, अमेरिका ने हक़्क़ानी को खतरनाक आतंकी मानते हुए उसपर 50 लाख डॉलर (क़रीब 37.5 करोड़ रुपए) का इनाम तय किया था। यह इनाम उसकी जानकारी देने पर था।