Opinion on Jammu Kashmir Vidhansabha Chunav 2024: कश्मीर में विधान सभा चुनाव हो रहे है। भाजपा, कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहें हैं। पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती इस बार खुद चुनाव नही लड़ रही बल्कि सत्ता हासिल करने के लिए प्रचार पर जोर दे रही है।
भाजपा में टिकट वितरण को लेकर जबरदस्त विरोध हुआ था लेकिन चाणक्य नीति से विरोध को ज्वाला बनने से पहले ही थाम लिया। नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस से हाथ सिर्फ इसलिए मिलाया है, ताकि जम्मू क्षेत्र की सीटें हासिल की जा सके। जम्मू क्षेत्र पूरी तरह हिंदू बहुल है और भाजपा का गढ़ है। ऐसे में कांग्रेस कितना सेंध मार पाती है, अभी कहना मुश्किल है। नेशनल कांफ्रेंस कश्मीर के वोटों को हासिल करने के लिए धारा 370 वापस लागू करने का वादा करके बरगला रही है। क्योंकि ये मसला केंद्रेबे अधीन है, राज्य अपने स्तर पर कुछ नहीं कर सकता है और केंद्र में भाजपा की सरकार है।
भाजपा धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में बढ़ी पर्यटकों की संख्या और इस से व्यापार बढ़ने, कश्मीर का विकास होने, पत्थर बाजी बंद होने, आतंकवाद पर लगाम लगाने जैसे राष्ट्रीय मुद्दों के साथ मैदान में है। इसका जम्मू क्षेत्र में व्यापक असर देखने को मिल रहा है लेकिन असली लड़ाई कश्मीर की कुछ सीटों को जीतने की है। हालांकि भाजपा ने परिसीमन में इस तरह का काम किया है जिस से जम्मू कहीं भी कमजोर नही पड़ेगा।
कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस का लंबे समय से दबदबा रहा है। पहले शेख अब्दुल्ला फिर उनके बेटे फारुख अब्दुल्ला फिर उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने सत्ता का अच्छा स्वाद चखा है। लेकिन इस बार ये भ्रम टूट सकता है। पीडीपी नेशनल कांफ्रेंस के ही वोटों में सेंध लगा रही है। कश्मीर की गुर्जर बहुल सीटों के दम पर भाजपा को अच्छे परिणाम की उम्मीद नजर आ रही है।
भाजपा के लिए कश्मीर जीतना बड़ा मकसद है ताकि दुनिया को बता सके की कश्मीर का गला घोंटा जा रहा था। इसमें कांग्रेस सबसे जिम्मेदार रही। कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद में स्थानीय नेताओं का हाथ रहा है। 370 हटने के बाद जिस तरह से फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने जहर उगला था, तिरंगे का अपमान किया था, कहा था कोई तिरंगे को लहराने वाला नजर नहीं आएगा, भारी खून खराब होगा, कश्मीर हाथ से निकल जायेगा। ऐसा कुछ भी नही हुआ बल्कि कश्मीर अमन की राह पर आया है। लोगों को समझ आ गया ये सारा पॉल्टिक खेल था और उन्हें टूल बनाकर उपयोग किया गया है। बहरहाल देखते है, परिणाम क्या आते है। उसके बाद ही सही चित्र सामने आ सकेगा।
डॉ उरुक्रम शर्मा