Rajasthan Politics; 2024 बस अब खत्म होने को है। इस साल को कई मायनों में याद किया जाएगा । चाहे वो मोदी 3.0 हो या देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का हम सभी को अलविदा कहना हो। इन सभी के साथ ये साल राजस्थान की राजनीती में भी बेहद ही खास और यादगार रहेगा । इसी साल में राजस्थान में कई बड़ी राजनीतिक घटनाएं हुई। लेकिन उन सब में सबसे हैरान करने वाले थे राजस्थान की 7 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे, जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं और इन्ही 7 सीटों में 3 सीटें ऐसी है जिनकी चर्चा शायद कई सालों तक हो, इन तीन सीटों में झुंझुनू , खींवसर और रामगढ शामिल है। ये वो सीटें है जहां बीजेपी को तगड़ी जीत मिली । तो वही तीन बड़े राजनीतिक परिवारों को अपने ही गढ़ में बड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा । जिसका मुसलसल रिव्यु किया जा रहा है । इन तीनों ही परिवारों की शिकस्त को लकेर हार और जीत के अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं,और हर कोई इन्हे समझना चाहता है।
बताते चले झुंझुनूं विधानसभा और लोकसभा सीट पर लम्बे वक़्त से ओला परिवार का ही कब्जा रहा है।यहां पर बीजेपी ने चुनाव जीतकर कांग्रेस और ओला परिवार को खासा बड़ा झटका दिया है। दिलचस्ब बात ये रही कि बड़े वोटों के फर्क से हुई हार और जीत हमेशा चर्चा में रहेगी तो वही झुंझुनूं विधानसभा सीट पर अब ओला का नहीं भांभू का राज हो गया है।
अब बात करते है हनुमान बेनीवाल की उनके ही गढ़ में उनकी पत्नी को उपचुनाव में मिली शिकस्त की ,नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले खींवसर विधानसभा सीट पर सिर्फ हनुमान बेनीवाल का ही राज था, लेकिन हनुमान के गढ़ को भी बीजेपी ने ढहा दिया । अब इस जीत की रणनीति के पीछे क्या कहानी रही है क्या वजह रही उसकी चर्चा तेज है। यहां से बीजेपी के रेवंतराम डांगा ने जीत हासिल की और बेनीवाल को हार का स्वाद चखाया।
अब बात करते है ज़ुबैर खान के गढ़ की मतलब रामगढ की , इस उपचुनाव बीजेपी ने जुबैर का गढ़ भी ढह दिया और इसके पीछे क्या कहानी है वो सामने लाने के लिए तमाम नेता और राजनीतिक चिंतक लगे हुए हैं । इस सीट से बीजेपी के सुखवंत सिंह ने जुबैर खान के बेटे आर्यन खान को मात दी । बता दे ज़ुबैर
खान का इसी साल सितम्बर के महीने में निधन हुआ है ।