Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्री हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं। इसकी शुरुआत से ही हिन्दू नववर्ष की भी शुरुआत हो जाती हैं। नवरात्री का मतलब हैं नौ –रातें , जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों को पूजा जाता हैं। आध्यात्मिकता के अलावा यह पर्व सवास्थ्य की दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान लोग उपवास रखते है, जिससे शरीर की शुद्धि होती हैं और नयी ऊर्जा का संचार होता हैं। लोग अपनी कुलदेवी के स्थान पर जाते हैं और माता के मंदिरो जा कर दर्शन करते हैं।
तो आज हम आपको ऐसी ही चमत्कारी मंदिरो के बारे में बताएंगे –
ईडणा माता मंदिर
भारत में ऐसे कई चम्तकारी मंदिर रहे हैं जिनका रहस्य आज तक कोई पता नहीं लगा पाया। ऐसे ही मंदिरो में से एक मंदिर हैं इडणा देवी का मंदिर हैं जो की उदयपुर से 60 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं। पहले के समय में राजा इडणा माता को कुलदेवी के रूप में पूजते थे। आपको बता दे की इस मंदिर में हर साल अपने आप जल जाती हैं। लोगो का कहना हैं की जब माता प्रसन्न होती हैं तब माता अग्नि स्नान करती हैं जिसके कारण मंदिर में आग जल जाती हैं। आगे जलने से मंदिर में माता की मूर्ति को छोड़ कर सब कुछ जल कर खत्म हो जाता हैं। कहा जाता हैं की यहाँ सिर्फ दर्शन मात्र से ही लकवा जैसी गंभीर बीमारियां तक ठीक हो जाती हैं।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
बांसवाड़ा शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित त्रिपुरा सुंदरी माता का मंदिर 52 शक्ति -पीठो में से एक हैं। यहाँ प्रधानमंत्री से लेकर सरपंच तक सभी नेता माता के दर्शन को आते हैं। त्रिपुरा सुंदरी माता को राजनेताओं की संकट मोचन भी कहा जाता हैं। यहाँ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे , पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसे सभी नेता माता के चरणों में शीश झुकाने आये हैं।
माता आम जन से लेकर बड़े नेताओ सभी की इच्छा पूरी करती हैं। माता अपने भक्तो को कभी निराश नहीं लौटने देती हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हर मतगणना के दिन सुबह ही यहाँ पहुंच जाती हैं चाहे हार हो या जीत दर्शन के बाद ही वापस लौटती हैं।
करणी माता मंदिर
बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता का मंदिर जिसे चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता हैं। यहाँ लगभग 2500 से भी ज़्यदा काले चूहे रहते हैं। सफ़ेद चूहों की मात्रा यहाँ सबसे कम हैं माना जाता हैं की सफ़ेद चूहे, करनी माता के परिवार के पूर्व जनम हैं। लोगों का मानना हैं की वैसे तोह यह सफ़ेद चूहे किसी को दीखते नहीं हैं और अगर किसी व्यक्ति को सफ़ेद चूहे दिख जाते हैं तोह इसको बहुत ही शुभ माना जाता हैं। भक्त चूहों द्वारा ख्य गया भोजन प्रसाद के रूप में खाते हैं और इसे शुभ माना जाता हैं। कहा जाता हैं कि इस भोजन को करने से सभी रोग दूर होते हैं।
जीण माता मंदिर
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित जीण माता का मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं। यह मंदिर अपनी चम्तकारी शक्तियों और ऐतिहासिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यह मंदिर 1000 साल पुराना मना जाता हैं। जिस तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 1000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जीण माता को चिरंजीवी माता भी कहा जाता हैं। मान्यता हैं की माता अपने भक्तों के लिए हंमेशा जाग्रित रहती हैं। माना जाता हैं की यह मंदिर महाभारत काल से हैं और यहाँ अर्जुन तपस्या करि थी। इस मंदिर में एक अखंड ज्योत जलती रहती हैं , जिसके दर्शन से सभी इच्छाए पूरी होती हैं। मंदिर के परिसर में एक पवित्र जलकुंड हैं, माना जाता है की इसमें स्नान करने से शारीरक और मानसिक रोग दूर होते हैं।