Shardiya Navratri 1st Day Maa Shailputri Puja 2024: आज 3 अक्टूबर गुरुवार से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो चुके है, जोकि 11 अक्टूबर तक चलेंगे। आज नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा करने का विधान है। मां शैलपुत्री का वाहन नदी बैल को माना गया है। मां को सफ़ेद रंग बेहद प्रिय है। इसलिए मान्यता है कि, मां शैलपुत्री की पूजा में सफ़ेद रंगों की चीजों का भोग अर्पित करना चाहिए। हिमालय की पुत्री होने की वजह से मां का नाम शैलपुत्री पड़ा। चलिए जानते है, नवरात्रि के प्रथम दिन आज कलश स्थापना का मुहूर्त, मां शैलपुत्री की पूजा विधि, आरती भोग और मंत्र सब कुछ।
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त
(Navratri Kalash Sthapana Muhurat)
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:15 से सुबह 07:21 तक रहेगा। इस 01 घण्टा 06 मिनट की अवधि में घटस्थापना करना शुभ रहेगा। इसके अलावा कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक रहेगा, जिसकी अवधि 47 मिनट की है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
(Maa Shailputri Puja Vidhi)
- नवरात्रि के पहले दिन सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद मां का ध्यान करते हुए कलश स्थापना करें।
- कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री के चित्र को स्थापित करें।
- मां शैलपुत्री के पैरों में कुमकुम और अक्षत लगाएं।
- मां शैलपुत्री का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
- मां शैलपुत्री को सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें।
- मां शैलपुत्री की आरती उतारें और भोग अर्पित करें।
मां शैलपुत्री पूजा मंत्र
(Maa Shailputri Puja Mantra)
बीज मंत्र-
ह्रीं शिवायै नम:
प्रार्थना मंत्र-
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
स्तुति मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता शैलपुत्री की आरती
(Maa Shailputri Aarti)
शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
जोर से बोलो जय माता दी, सारे बोले जय माता दी।