डॉ उरुक्रम शर्मा
हरियाणा चुनाव पर मौके से राजनीतिक विश्लेषण ….
- हार जीत का कांटे का मुकाबला
- स्थानीय दलों का असर खत्म
- निर्दलीय बागी ने भाजपा और कांग्रेस के तोते उड़ाए
- हरियाणा में अब पकड़ने लगा प्रचार जोर
Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में अब चुनाव असर दिखने लगा है। 90 सीटों के लिए विधानसभा में पहुंचने के लिए भाजपा, कांग्रेस, इनेलो ,जजपा, बसपा, आदि आदि ताल ठोक रखे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है जिन्हें टिकट नहीं मिला, उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। हिसार में भाजपा ने कमल गुप्ता को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने रामनिवास रारा को। इसी बीच देश की मशहूर उद्योगपति सावित्री जिंदल को उम्मीद थी, बीजेपी से टिकट मिलेगा, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ताल ठोक दी और मुकाबले को त्रिकोणात्मक बना दिया। यह बात केवल हिसार की नहीं है बल्कि भाजपा की 15 सीटें ऐसी है जहां 19 और कांग्रेस के 20 सीटें ऐसी है जहां 29 बागी मैदान में है।
चुनाव प्रचार को परवान पर चढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अब हरियाणा में कूद पड़े हैं ।दोनों ही दलों ने जातिगत समीकरण के आधार पर दूसरे राज्यों के असरकारी नेताओं को विधानसभा वार जिम्मेदारी दे दी। इन नेताओं ने वहीं डेरा डाल रखा है। राज्य की 90 सीटों में से जिस भी दल ने 46 सीट जीत ली उसी की सरकार बन जाएगी कांग्रेस अपने कद्दावर नेता भूपेंद्र हुड्डा के भरोसे मैदान में है और जाट वोटो के आधार पर इस बार सरकार बनाने के लिए पूरी तरह आश्वस्त है। मोदी के पिछले शासन में जिस तरीके का किसानों का आंदोलन हुआ उसमें कांग्रेस ने और आम आदमी पार्टी ने पर्दे के पीछे से सारा खेल किया और उम्मीद यही है कि इस बार वोटर उनके साथ देगा।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का हरियाणा में मिलकर चुनाव लड़ने का इरादा था लेकिन सीटों के बंटवारे में लड़ाई अटक गई और गठबंधन टूट गया। अब आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत से मैदान में उतरी हुई है जो कि सीधे तौर पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध मारी कर रही है। सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी और बागी कितने वोट ले जाते हैं उसके आधार पर भाजपा और कांग्रेस की तस्वीर साफ हो पाएगी।
5 अक्टूबर को होने वाले मतदान से सारी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। कांग्रेस पिछले 10 साल से भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा में शासन को मुद्दा बनाकर सरकार विरोधी लहर का माहौल बना रही है वहीं भाजपा डबल इंजन की सरकार का वादा करके वोटर के बीच में है। हरियाणा के चुनावी यात्रा पर जब हम निकले तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के ही पक्ष में माहौल देखा महेंद्रगढ़ के अंदर मिला-जुला माहौल नजर आया तो हिसार में जिंदल के पक्ष में बोलने वाले अधिक मिले। जींद की जुलाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पहलवान विनेश फोगाट को आम आदमी पार्टी ने पहलवान कविता दलाल को मैदान में उतारा है। भाजपा ने कैप्टन बैरागी को कमांड दी है। कांटे का मुकाबला है इसमें कौन जीते कौन हारे उसी का खेल चल रहा है।
हरियाणा में जातिगत समीकरण का भी बड़ा खेल है। प्रदेश की 35 सीट ऐसी है जहां दलित वोट निर्णायक रहता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि 22 से 25 पर्सेंट जाट वोट, 7% मुसलमान और 22 परसेंट दलित वोट उनको मिल जाएगा। भाजपा को करीब 30 से 32 परसेंट ओबीसी ,8 से 10 परसेंट पंजाबी वोटो का भरोसा है। लोकसभा चुनाव में छिटके एससी वोट बैंक को वापस लाने के उद्देश्य से भाजपा नेता कांग्रेस की कुमारी शैलजा की अनदेखी का मुद्दा प्रभावित तरीके से उठा रहे हैं।
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