डॉ उरुक्रम शर्मा की कलम से- Prayagraj Mahakumbh 2025: आस्था का पर्व है महाकुंभ। प्रयागराज है। गंगा यमुना और सरस्वती का संगम है। जीवन के तमाम पापों को धोकर मोक्ष जाने का रास्ता है। हर सनातनी का रुख इस बार प्रयाग संगम स्नान में है। देश भर के संत, महात्मा, तपस्वी, सन्यासी, महायोगी, नागा बाबाओं का अनूठा मिलन है। जिनके दर्शन मात्र से ही जीवन के तमाम दुख दूर होने का रास्ता प्रशस्त होता है। महासंगम में स्नान से जिस तरीके की जीवन में कल्पना की जाती है, उससे अपने सपनों को पूरा करने की एक नई ऊर्जा मिलती है। मन में मलिन विचारों का नाश होता है। जीवन क्या है, समाज के लिए क्या करना है, अपना चरित्र और व्यक्तित्व किस तरीके से रखना है, इसका भी एक रास्ता है।
एक दिन में 10 करोड लोगों के स्नान करने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि, महाकुंभ की महत्ता कितनी ज्यादा है। दुनिया भर के तमाम देश भारत के सनातनी महापर्व का आनंद ले रहे हैं और अचंभित है। किसी देश के अंदर होने वाला सबसे बड़ा यह आयोजन है। किसी से कुछ सुना नहीं, हर गली मोहल्ले से हर घर से छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक बड़ी संख्या में लोग कुंभ स्नान कर चुके। बताया जा रहा है कि, हर दिन करोड़ों लोग वहां नियमित रूप से स्नान कर रहे हैं। शाही स्नान के अंदर संख्या 10 करोड़ तक पहुंच रही है।
देश की और उत्तर प्रदेश की सरकार ने वहां पहुंचने वाले हर श्रद्धालुओं के लिए बहुत पुख्ता व्यवस्था की है। लेकिन अति उत्साह में लोग जोश में गंगा मैया के जयकारे ,जय श्री राम ,हर हर महादेव के जयघोष से युवाओं के जोश को और बढ़ा रहा है। जब जय घोष लगते हैं तो दूसरी तरफ से भी जय घोष के स्वर सुनाई देने जाते हैं ।देखते-देखते पांव की जो गति है वह भी बढ़ जाती है।आवाज भी तेज हो जाती है ।बंद मुट्ठी करके हाथों का जोश बढ़ जाता है। और सब जल्दी से जल्दी संगम में डुबकी लगाने की होड में रहते हैं। बस यही होड अनुशासनहीनता का एक सबसे बड़ा उदाहरण है।
और इसी अनुशासनहीनता ने सरकार के जबरदस्त इंतजाम को भी कमजोर कर दिया और कई लोगों की मौत हो गई कई लोग घायल हो गए, लेकिन वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने जिस तरह से जो लोग दबे उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की उनको सीपीआर दी लगातार ताकि जो जान है वह वापस आ जाए। लेकिन नियति को तो और ही कुछ मंजूर था ।जो स्नान करके लौट रहे थे और उनके इस भगदड़ के अंदर निधन हो गया। और जो स्नान करने जा रहे थे उनका इस भगदड़ में निधन हो गया। हमें इससे सीखना चाहिए जोश में होश नहीं खाना होना चाहिए। हम थोड़ी देर बाद भी स्नान कर सकते हैं। नदी तो वही है।
गंगा जमुना सरस्वती वही रहेगी लेकिन जोश में भगदड़ में अंदर जो नुकसान हुआ उसके भरपाई तो नहीं की जा सकती लेकिन हमें सबक सिखाती है कि हमें अनुशासन में रहना चाहिए। अनुशासन को तोड़ना नहीं चाहिए। सरकार की व्यवस्थाओं के साथ में तालमेल बैठाना चाहिए ।ताकि ना तो खुद को तकलीफ हो ना किसी और दूसरे को तकलीफ हो। आप कुंभ जा रहे हैं जरूर जाना चाहिए बड़ी संख्या के अंदर लोगों का रुझान कुंभ की ओर है लेकिन जरा सी चूक बहुत बड़ी आपदा बन सकती है।