Rajasthan Politics: 2024 चला गया और 2025 ने हम सब से मुलकात भी कर ली। साल के सिर्फ नंबर बदले और कुछ नहीं बदला। राजस्थान में साल तो बदला लेकिन नेताओं के मिज़ाज नहीं, 2025 में भी यहां की राजनीती के वही हालत है, सब कुछ वैसा का वैसा ही है। नेताओं का एक दूसरे पर इल्जाम लगाने वाला दौर अभी भी जारी है। भजनलाल सरकार ने हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के दौरान बनाए गए 9 जिलों और 3 संभाग को निरस्त किया। जिसके बाद से लगातार पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर ज़ुबानी हमले कर रहे है। ऐसे में ये मुद्दा खत्म भी नहीं हुआ था कि उससे पहले एक नया मुद्दा सामने आ गया है।
“डोटासरा समीक्षा से क्यों घबरा रहे हैं”
दरअसल, अब भजनलाल सरकार गहलोत सरकार के दौरान लिए गए उस फैसले को भी पलटने की तैयारी में है, जिसके तहत हिंदी मीडियम स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में तब्दील किया गया था। और अब इसी को लेकर राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। जहां विपक्ष में बैठी कांग्रेस इसको लेकर भजनलाल सरकार पर हमलावर है। तो वही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी कई बड़े दावे कर डाले है, साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए ये भी कहा है की डोटासरा समीक्षा से क्यों घबरा रहे हैं।
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दिलावर ने उठाए गहलोत सरकार के फैसले पर सवाल
दिलावर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा “पिछली सरकार ने बिना किसी नीति और रणनीति के बिना जनता का हित देखें हिंदी माध्यम के स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में रूपांतरित कर दिया गया। एक भी स्कूल नया नहीं खोला। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के कुछ भागों में तो हिंदी माध्यम में पढ़ने वालो के लिए विशेष रूप से बालिकाओं के लिए हिंदी माध्यम के विद्यालय 5 किलोमीटर तक की परिधि में ही नहीं बचे है। जिससे हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को इधर-उधर पढ़ने के लिए जाना पड़ा है या पढ़ाई छोड़ दी है। डोटासरा जी समीक्षा से क्यों घबरा रहे हो, समीक्षा से तो आपकी सरकार ने बच्चों के साथ जो अन्याय किया है वो सारी हकीकत सामने आ जाएगी । आपके द्वारा खोले गए 3737 में से 1826 विद्यालय में तो 8 से भी कम कक्षा कक्ष उपलब्ध हैं । अंग्रेजी माध्यम के 17 विद्यालय तो ऐसे हैं जहां नामांकन शून्य है और 65 ऐसे है जहां 10 से कम नामांकन है। अगर अंग्रेजी माध्यम के स्कूल ठीक होते तो कांग्रेस सरकार ने स्वयं ही 176 अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों को पुनः हिंदी माध्यम में रूपांतरित क्यों किया गया ? अंग्रेजी माध्यम के 3737 विद्यालयों में 2020-21 के मुकाबले लगभग 01 लाख का नामांकन कम हुआ है दौसा शहर के एक विद्यालय में तो नामांकन 1520 से 396 ही रह गया है, धौलपुर के एक विद्यालय में 852 का नामांकन था जो घटकर आधा रह गया। कुल 1300 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तन के बाद नामांकन कम हुआ है। कांग्रेस ने 3737 स्कूलों में केवल 13790 पद स्वीकृत किए जबकि डोटासरा जी कह रहे है कि 45300 नवीन पद इन विद्यालयों में स्वीकृत किये है। हमारी सरकार आने के बाद 15000 पद स्वीकृत करने की कार्रवाई चल रही है। अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में संविदा पर 10,000 कार्मिक लगाने का आप झूठ बोल रहे हैं इन विद्यालयों में केवल 3676 संविदा कार्मिक ही कार्यरत है ।अग्रेंजी माध्यम के स्कूलों की तो छोड़िए आप द्वारा 4500 से अधिक हिंदी माध्यम के विद्यालयों को क्रमोन्नत किया गया उनमें भी पद स्वीकृत नहीं किया गया, जिसके कारण शिक्षण कार्य बाधित रहा।