JAIPUR: जयपुर को पिंक सिटी यानी गुलाबी नगरी कहा जाता है लेकिन यही गुलाबी नगरी एक वक़्त पर पीले रंग का हुआ करता था जब सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1727 में जयपुर की स्थापना की थी. इसके 148 साल बाद तक गुलाबी नगरी पीले रंग का हुआ करता था. जब 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और ‘किंग ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड’ जयपुर आए, तो उनके स्वागत में जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग से पुतवाया था. तभी से जयपुर का नाम पिंकसिटी हो गया. आज भी लोग इसे पिंक सिटी जयपुर के नाम से जानते हैं. गुलाबी रंग और हैरिटेज इमारतों के साथ जयपुर के बाजार भी जयपुर की पहचान है यह हर बाजार के अपनी खासियत है।
जयपुर में परकोटे के बाजारों में हैरिटेज इमारतों के साथ पेड़ भी यह की पहचान हैं। खासकर त्रिपोलिया बाजार में 150 साल पुराने अशोक के पेड़ बाजार के हैरिटेज लुक को और भी बढ़ाते है जयपुर की बसावट के बाद करीब 150 साल पहले त्रिपोलिया बाजार में एक साथ अशोक के कई पेड़ लगाए गए। कभी इस बाजार में 60 से ज्यादा अशोक के पेड़ थे, हालाँकि वक़्त के साथ पेड़ काम हो गए है ये पेड़ 25 से 30 फीट लंबे हैं। कहा जाता है की ये पेड़ पूर्व महाराजा रामसिंह के समय त्रिपोलिया बाजार में लगाए गए थे। त्रिपोलिया बाजार के साथ परकोटे के किशनपोल बाजार, चौड़ा रास्ता, गणगौरी बाजार और चांदपोल बाजार सहित कई बाजारों में पेड़ हैं, लेकिन इन बाजारों में अलग-अलग किस्म के पेड़ हैं।
वही चांदपोल जयपुर के सबसे पारंपरिक खरीदारी स्थलों में से एक है। चांदपोल बाजार में सभी के लिए कुछ न कुछ है। यहां पर एक खजाने वालों का रास्ता नाम की एक जगह है जहां से आप पगड़ी, कालीन, हस्तशिल्प, जूते, लकड़ी की मूर्तियां और बहुत कुछ खरीद सकते हैं। इस बाजार में संगमरमर की मूर्तियां बहुत फेमस हैं।